क्या है रक्षाबंधन का धार्मिक महत्व? इस बार ये है शुभ मुहूर्त : मंकेश्वर नाथ तिवारी

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मंकेश्वर नाथ तिवारी, ज्योतिषाचार्य

रक्षा बंधन (श्रावणी पूर्णिमा), रविवार, 22 अगस्त को रक्षाबंधन बहन भाई को गुरु शिष्य को पौरोहित्य अपने समस्त यजमानों को रक्षा सूत्र राखी बांधते हैं तथा एक दूसरे का रक्षा के लिए संकल्प लेते हैं। माथे पर रोली चंदन, कलाई पर रक्षा सूत्र राखी तथा मुख में मिष्ठान खिलाते हैं इस प्रकार की परंपरा परम पवित्र पौराणिक विधान भी है। भविष्यत पुराण वचन के अनुसार देवासुर संग्राम में इंद्र को बली ने पराजित किया तब इंद्र की पत्नी भगवान विष्णु से रक्षा की कामना की तो भगवान विष्णु ने एक धागा शची को प्रदान किया, उसी धागे को इंद्र की कलाई में बांधकर सुरक्षा सफलता एवं विजय की कामना की। इस प्रकार बली को हराकर अमरावती पर इंद्र ने पुनः अधिकार प्राप्त किया, जिसके कारण निम्न मंत्रों द्वारा रक्षाबंधन का विधान है मंत्र इस प्रकार है – “येन वध्यो बलि राजा दानवेंद्रो महाबल तेन त्वाम प्रति प्रति बधनामि रक्षे माचल माचल” – इस मंत्र के द्वारा राखी रक्षा सूत्र बांधा जाता है। महाभारत काल में द्रोपदी ने भगवान श्रीकृष्ण को राखी बांधी थी। कुंती ने भी अपने पुत्र अभिमन्यु को विजय के लिये राखी बांधी थी। यम एवं यमुना द्वारा रक्षाबंधन का विधान भी शास्त्रों में आया है। शिशुपाल वध के समय चक्र सुदर्शन से भगवान विष्णु का अंगुली कट गया जिसे तत्क्षण द्रौपदी ने अपने चीर से बांधकर रक्षा प्रदान की। वहीं, भगवान विष्णु ने द्रोपति की रक्षा लज्जा भंग होने से चीरहरण के समय बचा लिया। आज के दिन भाई को बहन के द्वारा भोजन कराना चाहिए तथा उनके दीर्घायु जीवन आरोग्यता ऐश्वर्या पूर्ण जीवन की कामना की जाती है। शास्त्रों के वचन के अनुसार बहन का भ्रातृ प्रेम पावन पवित्र संबंध का महापर्व रक्षाबंधन अटूट अमर दृष्टिगोचर है। निश्छल निष्कपट भाव से रक्षाबंधन भाई को भयंकर संकट से बचाता है। वहीं, बहनों को हर संकट आपत्ति बिपत्ति में विषम परिस्थितियों में लोक लज्जा की रक्षा मान-सम्मान की वृद्धि तथा उनके सुखद जीवन की कामना प्रथमतः संकल्पित किया जाता है।

रक्षाबंधन का उत्तम मुहूर्त
प्रातः 6:12 से 9:44 तक सिंह एवं कन्या लग्न में तथा धनु लग्न 2:17 अपराह्न से 4:23 तक सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है।
वर्जित काल निम्नवत है :
राहु काल 4:45 अपराह्न से 6:21 तक
यमघण्ट योग 11: 55 मध्याह्न से 1: 31 तक वर्जित काल है।

पूर्णिमा संध्या 5 बजे तक है अतः इसके पूर्व रक्षाबंधन का पर्व मनावें।

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