Bharat varta desk:
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने फिल्म ‘आदिपुरुष’ के आपत्तिजनक संवादों और किरदारों के विवादित चित्रण के खिलाफ अधिवक्ता कुलदीप तिवारी की याचिका पर लगातार दूसरे दिन भी सुनवाई की और इसके निर्माताओं को कड़ी फटकार लगाई। हाई कोर्ट ने कहा कि हिंदू धर्म के लोगों की सहिष्णुता की परीक्षा क्यों ली जा रही है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ खंडपीठ ने कहा, “अगर हम लोग इस पर भी आंख बंद कर लें क्योंकि यह कहा जाता है कि इस धर्म (हिंदू) के लोग बड़े सहिष्णु (सहनशील) हैं तो क्या उसकी परीक्षा ली जाएगी।”
कोर्ट ने आगे कहा, “लोग अपने धार्मिक ग्रंथों को लेकर संवेदनशील होते हैं और इस वजह से ही याचिका दाखिल की गई है। जिस तरह से फिल्म में संवाद लिखे गए हैं, यह एक बड़ा गंभीर मुद्दा है।” जस्टिस राजेश सिंह चौहान और जस्टिस श्रीप्रकाश सिंह की पीठ ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा, “यह तो अच्छा है कि यह एक ऐसे धर्म के बारे में है, जिसके मानने वालों ने कानून और व्यवस्था को लेकर कोई समस्या खड़ी नहीं की। हमें शुक्रगुजार होना चाहिए।”
संवाद लेखक मनोज मुंतशिर को नोटिस जारी
कोर्ट ने फिल्म के संवाद लेखक मनोज मुंतशिर शुक्ला को भी नोटिस जारी करते हुए एक हफ्ते के अंदर जवाब दाखिल करने का आदेश दिया है।
कोर्ट ने आगे कहा, “हमने समाचारों में देखा कि कुछ लोग सिनेमा हॉल गए थे और उन्होंने सिर्फ हॉल बंद करने के लिए मजबूर किया। वे सभी और कुछ भी कर सकते थे।”हाई कोर्ट ने कहा कि सेंसर बोर्ड को अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए फिल्म को लेकर कुछ करना चाहिए था। कोर्ट ने कहा, “फिल्म में भगवान हनुमान और माता सीता को बिल्कुल अलग तरीके से दिखाया गया है। इन चीजों को शुरू से ही हटा देना चाहिए था।”
हाई कोर्ट ने कहा कि फिल्म के कुछ दृश्य वयस्क श्रेणी के प्रतीत होते हैं और इस तरह की फिल्मों को देखना बहुत मुश्किल है।
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