बजट राहत देगा या झटका,आर्थिक सर्वेक्षण के बाद आज बिहार बजट की बारी

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पटना से सुशांत कुमार पान्डेय की रिपोर्ट

आज बिहार विधानसभा में बजट पेश होने वाला है। कोरोनावायरस महामारी के चौतरफा संकट के बीच जनोन्मुखी बजट पेश करना सरकार के लिए एक बड़ी चुनौती है। यह बजट जनता को झटका देने वाला होगा या राहत देने वाला, इसको लेकर हर कोई उत्सुक है।

बिहार विधान-सभा में 2021-22 का आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट 25 फरवरी को उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद द्वारा पेश किया गया था। यह बिहार का 16वाँ आर्थिक सर्वेक्षण था। कोविड महामारी की मार झेल रही दुनिया भर की तमाम अर्थव्यवस्थाएं इससे उबरने के लिए प्रयासरत हैं। कोरोना के नए-नए वैरिएंट्स स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को प्रभावित करने के साथ-साथ आर्थिक एवं सामाजिक संकटों को ज्यादा गहरा कर रहे हैं। इन उतार-चढ़ावों के बीच पेश किए गए इस रिपोर्ट के अनुसार 2020-21 में वर्तमान मूल्य पर प्रति व्यक्ति सकल राज्य घरेलू उत्पाद 2019-20 के 49,272 रुपये से बढ़कर 50,555 रुपये हो गया अर्थात बिहार के सकल राज्य घरेलू उत्पाद(जीएसडीपी) में 2.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

कुल 13 अध्यायों में विभक्त इस रिपोर्ट में यह बात भी सामने आती है कि जीएसडीपी में प्राथमिक क्षेत्र की हिस्सेदारी घटी है। इसके साथ ही द्वितीयक क्षेत्रक में भी गिरावट देखी गई तथापि तृतीयक क्षेत्रक (सेवा क्षेत्रक) के हिस्से में उल्लेखनीय वृद्धि का दर्ज होना राहत की बात है। ध्यातव्य है कि राज्य सरकार का राजस्व बढ़कर 2020-21 में 36,543 करोड़ रुपये हो गया है।

खेती पर फोकस

कृषि एवं इसके सहवर्ती क्षेत्रों में भी वृद्धि दर 2.1 प्रतिशत रही। गत वर्षों में बिहार को कई कृषि कर्मण पुरस्कार भी मिल चुके हैं। इसके बावजूद यह स्मरण रहे कि वर्ष 2000 में हुए विभाजन के बाद बिहार से अधिकांश खनिज संसाधनों का नवनिर्मित राज्य झारखंड में चले जाना, यहाँ की लगभग 88.7 प्रतिशत आबादी का गांवों में बसना तथा हर वर्ष बाढ़ की विभीषिका झेलना कुछेक ऐसे महत्त्वपूर्ण कारक हैं जिसके चलते बिहार को इस क्षेत्र में नई सम्भावनाओं की तलाश के लिए मुस्तैद रहना होगा। डिजीटल कृषक सेवाओं के लिए ‘बिहान’ नामक नया मोबाइल एप्प प्रारम्भ करना इस दिशा में एक सार्थक कदम हो सकता है।

बिजली पर जोर

वर्तमान परिदृश्य में ऊर्जा आर्थिक विकास की मुख्य लागत सामग्री होने के साथ-साथ सामाजिक समता के लिए भी आवश्यक शर्त बन चुकी है। ऐसे में बिहार में बिजली की प्रति व्यक्ति खपत का 2014-15 के बरक्स 203 किलोवाट-आवर से बढ़कर 2020-21 में 350 किलोवाट-आवर होना एक सकारात्मक आंकड़ा है। विद्युत उत्पादन की क्षमता मार्च 2021 तक 6422 मेगावाट पहुँच चुकी है। बरौनी एवं कांटी में स्थित विद्युत उत्पादन इकाइयों के अलावा नवीनगर, बक्सर एवं बाढ़ ताप विद्युत परियोजनाओं का कार्य प्रगति पर है।

बैंक की 270 नई शाखाएं खुलेगी

राज्य में वर्ष 2020-21 में प्रमुख बैंकों की कुल 270 नई शाखाओं को खोला गया है। बैंकों की शाखाओं का सुदूर गांवों तक यह विस्तार जारी रखना होगा क्योंकि वित्तीय समावेशन के लक्ष्य की प्राप्ति में बैंक अग्रणी भूमिका अदा करते हैं और बिहार जैसे राज्य के लिए तो यह और भी महत्त्वपूर्ण हो जाता है।

सामाजिक सेवाओं पर खर्च

रिपोर्ट के अनुसार सामाजिक सेवाओं पर व्यय का बढ़कर 44 प्रतिशत होना वर्तमान समय की मांग है। विशेषकर स्वास्थ्य पर व्यय की वृद्धि दर 2015-16 की तुलना में 16.6 प्रतिशत रही है। राज्य सरकार द्वारा ‘ऑक्सीजन उत्पादन प्रोत्साहन नीति -2021’ को प्रारम्भ किया गया है। पूरे विश्व में महामारी के दौरान आक्सीजन की कमी के कारण लोगों ने अपनों को खोया है। कोरोना के नए स्ट्रेन महज कुछेक दिनों में इतनी तबाही मचा दे रहे हैं कि वैक्सिनेशन- कार्यक्रमों की सार्थकता पर प्रश्नचिन्ह लग जाता है। ऐसे में बिहार, जो उच्च जनघनत्व एवं बड़ी आबादी को धारण करता है; को स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार के लिए सतत प्रयासरत रहते हुए एक लंबी यात्रा तय करनी होगी।

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