नाग पंचमी पर विशेष : श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नागपंचमी का पर्व मनाया जाता है। आज के दिन सिर्फ मंदिरों में ही नहीं बल्कि घर-घर में नागदेवता की पूजा करने का विधान है। जो भी इस दिन श्रद्धा एवं भक्ति से नागदेवता का पूजन करता है उसे एवं उसके परिवार को कभी भी सर्प भय नहीं होता। इस बार यह पर्व 13 अगस्त, शुक्रवार को है। इस दिन शिवपुजन के साथ साथ शिवजी के गले में विराजमान नागों की पूजा करे। नागों को हल्दी, रोली, चावल और फूल अर्पित करें। इसके बाद खील बताशे और कच्चा दूध प्रतिकात्मक रूप से अर्पित करें। घर के मुख्य द्वार पर गोबर से सर्प की आकृति बनाएं और इसकी पूजा करें।
घर के मुख्य द्वार पर सर्प की आकृति बनाने से जहां आर्थिक लाभ होता है, वहीं घर पर आने वाली विपत्तियां भी टल जाती हैं।
महामंत्र सर्प भय दूर करने का :
सर्पा सर्प भद्रन्ते दूरं गच्छ महाविष यनमेजयस्य यः शांति आस्तिके वचनस्मर आस्तिकस्य वचनसमृत्वा यः सर्पो न निवर्तते तद्भि शीशुपया फलम यथा।
मंत्र पढ़ के बालू सरसों अभिमन्त्रित करें तथा घर के चारो तरफ जल के साथ प्रोक्षण करें। पूरे वर्ष विषभय समाप्त हो जायेगा।
नाग-नागिन के जोड़े की प्रतिमा- सोने, चांदी या तांबे से निर्मित के सामने पुजन कर यह मंत्र बोलें :
अनन्तं वासुकिं शेषं पद्मनाभं च कम्बलम्।
शंखपाल धृतराष्ट्रं तक्षकं कालियं तथा।।
एतानि नव नामानि नागानां च महात्मनाम्।
सायंकाले पठेन्नित्यं प्रात:काले विशेषत:।।
तस्मै विषभयं नास्ति सर्वत्र विजयी भवेत्।।
सर्वे नागा: प्रीयन्तां मे ये केचित् पृथिवीतले।
ये च हेलिमरीचिस्था येन्तरे दिवि संस्थिता।।
ये नदीषु महानागा ये सरस्वतिगामिन:।
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।
प्रार्थना के बाद नाग गायत्री मंत्र का जाप करें-
ऊँ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि। तन्नो सर्पःप्रचोदयात्।
इसके बाद सर्प सूक्त का भी पाठ करें-
ब्रह्मलोकुषु ये सर्पा: शेषनाग पुरोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
कद्रवेयाश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इंद्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखादय:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखादय:।
नमोस्तुते हे: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
पृथिव्यांचैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
ग्रामे वा यदिवारण्ये ये सर्पा प्रचरन्ति च।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
समुद्रतीरे ये सर्पा ये सर्पा जलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
रसातलेषु या सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीता: मम सर्वदा।।
इस प्रकार पूजा करने से नागदेवता प्रसन्न होते हैं और हर मनोकामना पूरी करते हैं।
अगर कुंडली में राहु-केतु की स्थिति ठीक ना हो तो इस दिन विशेष पूजा का लाभ पाया जा सकता है। जिनकी कुंडली में विषकन्या या कालसर्प दोष योग हो, ऐसे लोगों को भी इस दिन पूजा-उपासना करनी चाहिए। जिनको सांप के सपने आते हों या सर्प से डर लगता हो तो ऐसे लोगों को इस दिन नागों की पूजा विशेष रूप से करना श्रेयस्कर होता है।
Bharat varta Desk पटना गांधी मैदान में आयोजित सनातन महाकुंभ में पूर्व केंद्रीय मंत्री अश्विनी… Read More
Bharat varta Desk बिहार की राजधानी पटना में एक बार फिर अपराधियों का बोलबाला देखने… Read More
Bharat varta Desk बिहार के सिवान में शुक्रवार को दिनदहाड़े हुई अंधाधुंध गोलीबारी से हड़कंप मच गया.… Read More
Bharat varta Desk बिहार प्रदेश युवा कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सह सुल्तानगंज विधानसभा के कांग्रेस… Read More
Bharat varta Desk बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले 2 जुलाई यानि बुधवार को पटना… Read More
Bharat varta Desk भारतीय जनता पार्टी की राज्य कार्यसमिति की बैठक में शामिल होने के… Read More