NewsNLive Desk : भारतीय जनता पार्टी के सिद्धांतकार एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारके रह चुके के. एन. गोविंदाचार्य किसानों ने अपनी जिन मांगों के समर्थन में आंदोलन प्रारम्भ किया है, उसमें प्रमुख मांग है – न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से कम दाम पर खरीदने को दंडनीय अपराध घोषित करने वाला कानून बनाया जाए।
गोविंदाचार्य ने कहा है कि गत महीनों में केंद्र सरकार ने तीन कृषि कानून पारित कराए। इन कानूनों ने किसानों को आशंकित कर दिया है। उन्हें डर लग रहा है कि अब धीरे धीरे उन्हें निर्मम बाजार के हवाले कर दिया जाएगा, जहां उन्हें न्यूनतम समर्थन मूल्य भी नहीं मिलेगा। ऐसा होने से किसान और घाटे में चले जायेंगे। उन्होंने कहा कि अभी केंद्र सरकार हर वर्ष 23 कृषि उपजों का न्यूनतम समर्थन मूल्य घोषित करती है। 4-5 राज्यों में उस न्यूनतम समर्थन मूल्य पर केवल धान और गेहूँ खरीदने की सरकारी व्यवस्था है। इस व्यवस्था का लाभ देश के केवल 6% किसानों को ही मिलता है। धान और गेहूँ के अलावा दलहन, तिलहन आदि के न्यूनतम समर्थन मूल्य केंद्र सरकार अवश्य घोषित करती है, पर उनको न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था सरकारों ने नहीं की है। एक प्रकार से यह किसानों को बाजार में लूटे जाने का अवसर देता है।
आगे गोविंदाचार्य ने कहा कि कृषि अर्थशास्त्रियों के अनुसार 2000 से 2016 के बीच में घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीद की व्यवस्था न होने के कारण किसानों को लगभग 45 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ। अर्थात 2000 से 2016 तक न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम पर बेचने के लिए मजबूर होने के कारण किसानों को हर वर्ष औसत 3 लाख करोड़ रुपये का घाटा हुआ। 2016 के बाद किसानों को होने वाला ऐसा घाटा और बढ़ा ही होगा।
किसानों को हर वर्ष हो रहे उपरोक्त घाटे को रोकने का प्रमुख उपाय है- न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी देने वाला कानून। अभी चल रहे किसान आंदोलन की वही प्रमुख मांग है। किसान अपनी कृषि उपज की न्यूनतम मूल्य की गारण्टी मांग रहें हैं, अधिकतम लाभ की नहीं। अधिकतम लाभ प्राप्त करने के लिए किसानों को अन्य उपाय स्वयं करने होंगे।
न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी कानून बन जाने से किसानों को हो रहा घाटा रुक जाएगा। साथ ही सरकार सभी राज्यों में न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदने की व्यवस्था भी करे। इन दोनों से किसान सरकारी व्यवस्था में बेचें या खुले बाजार में, वे वर्तमान सरकारी खरीद की व्यवस्था वाले 4-5 राज्यों में रहते हों या अन्य राज्यों में, उन्हें कानून के कारण कृषि उपज के घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य तो मिल ही जायेंगे। किसानों की आय बढ़ेगी, जिससे देश की बहुत बड़ी संख्या गरीबी से मुक्त होगी। उचित मूल्य मिल जाने से अधिकांश किसान स्वयं को बेरोजगार या अर्ध बेरोजगार नहीं मानेंगे। गांवों में खुशहाली आएगी। मुट्ठी भर व्यापारियों की आय बढ़ने की बजाय करोड़ों किसानों की आय बढ़ेगी। अतः वे किसान बाजार में अन्य उपभोक्ता वस्तुओं को अधिक खरीदेंगे, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को भी अधिक गति मिलेगी। इस प्रकार न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी कानून किसानों की अधिकांश समस्याओं को दूर करने में सहायक होगा।
सरकार न्यूनतम समर्थन मूल्य का गारण्टी देने वाला कानून शीघ्र बनाकर देश की अर्थव्यवस्था की सुस्ती दूर करेगी, ऐसी आशा है।
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