साहित्य संसार

‘काल करै सो आज कर, आज करै सो अब’, रेल अधिकारी दिलीप कुमार का कॉलम ‘अप्प दीपो भव’

अप्प दीपो भव-39

दिलीप कुमार

समय हमारे जीवन का सबसे बड़ा खजाना है। इस खजाने की एक अद्वितीय व्यवस्था है। हम इसे उपयोग में लाएं या न लाएं, यह नष्ट होता रहता है। समय की अपनी गति होती है। समय का अपना लय होता है। वही लोग जीवन का सही आनंद उठा पाते हैं जो समय की गति और लय की सही माप करते हैं और फिर समय के साथ तालमेल बिठाते हुए आगे बढ़ते चले जाते हैं। जो लोग समय की उपेक्षा करते हैं, समय उन्हें उपेक्षित कर देता है। जो लोग समय बर्बाद करते हैं, समय उनको बर्बाद कर देता है।

हमारी अनंत इच्छाओं की पूर्ति के लिए हमारे पास सीमित समय होता है। इच्छाएँ इंतजार कर सकती हैं, लेकिन समय इंतजार नहीं करता। वह अपनी धुन में निर्धारित गति से चलता रहता है । यदि हम समय की नब्ज को पहचान कर उसकी गति से न चले तो समय आगे निकल जाता है और हमारे पास शिकायतों की पोटली छोड़ जाता है। फिर हम हर मंच पर दोहराते चले जाते हैं कि हमारे पास समय की कमी है। कमान से छूटने के बाद तीर, मुंह से निकल जाने के बाद शब्द और बीता हुआ समय कभी वापस नहीं आता। संत कवि कबीर दास करते हैं-
पाछे दिन पाछे गए हरी से किया न हेत।
अब पछताए होत क्या, चिड़िया चुग गई खेत।
यदि एक बार समय बीत गया और उस समय का हमने सही ढंग से इस्तेमाल नहीं किया तो फिर बीता हुआ वह समय लौट कर वापस नहीं आता। समय बीत जाने के बाद पछताने से कोई लाभ नहीं होता है। चिड़िया यदि खेत से बीज को चुग रही होती है तो उसी समय शोर करके उसे भगाना होता है। चिड़िया यदि सारे बीज को खा ले तो फिर हम कितना भी पछतावा क्यों न करें, खेत में फसल का होना मुमकिन नहीं है।

समय के साथ पूर्ण तालमेल बैठाना आसान नहीं होता। हमारा पूरा जीवन कई अवयवों पर आश्रित होता है। जब सभी अवयव एक साथ काम करते हैं तो सफलता मिलती है। लेकिन, इन सब अवयवों में समय सबसे महत्वपूर्ण है। मान लीजिए कि कोई काम हमें एक सप्ताह के अंदर पूरा करना है। उस काम को करने में पहले छः दिन हम टालमटोल करते रहे और सातवें दिन स्वास्थ्य ने हमारा साथ छोड़ दिया या कोई तकनीकी बाधा आ गई। ऐसे में सफलता की देवी का रूठना स्वाभाविक है। इसीलिए कई संत-महात्मा हमें समय से थोड़ा आगे चलने की सलाह भी देते हैं। कबीर कहते हैं-
काल करै सो आज कर, आज करै सो अब
पल में परलै होयगी, बहुरि करेगा कब ?
हमारे संपूर्ण विकास के मार्ग में सबसे बड़ी बाधा समय की बर्बादी से उत्पन्न होती है। काम को टालते रहने की हमारी प्रवृत्ति से ही हमारी विफलता की कहानी लिखी जाती है। इसलिए कभी भी आज का काम कल और कल का काम परसों के लिए नहीं टालना चाहिए। टाला हुआ काम बासी भोजन के समान होता है। जिस प्रकार बासी भोजन को ग्रहण करने के बाद भी शरीर में ताजगी महसूस नहीं होती, उसी तरह देर से किए गए काम से हमें सहज आनंद की प्राप्ति नहीं होती। टालमटोल की आदत अकर्मण्यता को भी बढ़ावा देती है। अकर्मण्यता हमारे शरीर में छुपा हुआ हमारा बड़ा शत्रु है। यह शत्रु चाहता नहीं है कि हम जीवन में सफल हों और आनंदित रहें। लेकिन, हम जीवन में सफल और आनंदित रहना चाहते हैं तो फिर अपने शत्रु को बढ़ावा क्यों दें? समय हमारा सच्चा मित्र है। समय का साथ दें। समय के साथ चलें। आगे बढ़ें।

कवि, लेखक, मोटिवेशनल गुरु और भारतीय रेल यातायात सेवा के वरिष्ठ अधिकारी .

Ravindra Nath Tiwari

तीन दशक से अधिक समय से पत्रकारिता में सक्रिय। 17 साल हिंदुस्तान अखबार के साथ पत्रकारिता के बाद अब 'भारत वार्ता' में प्रधान संपादक।

Recent Posts

सरकारी इंजीनियर 16-प्लॉट समेत करोड़ों की संपत्ति का मालिक निकला

Bharat varta Desk जोधपुर में सार्वजनिक निर्माण विभाग का एग्जीक्यूटिव इंजीनियर दीपक कुमार मित्तल 16… Read More

8 hours ago

झारखंड के प्रथम चीफ जस्टिस वीके गुप्ता नहीं रहे

Bharat varta Desk झारखण्ड उच्च न्यायालय के प्रथम मुख्य न्यायाधीश जस्टिस विनोद कुमार गुप्ता का… Read More

1 day ago

नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़, 18 लोगों की मौत

Bharat varta Desk नई दिल्ली स्टेशन पर भगदड़ मचने की खबर है। मीडिया रिपोर्ट्स के… Read More

2 days ago

कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल, प्रभारी महासचिव बदले

Bharat varta Desk कांग्रेस संगठन में बड़ा फेरबदल हुआ है. नये महासचिवों और प्रभारियों के… Read More

3 days ago

मणिपुर में राष्ट्रपति शासन

Bharat varta Desk मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के इस्तीफे के बाद राज्य में राष्ट्रपति… Read More

4 days ago