कार्तिक पूर्णिमा स्नान और दान का पुण्य स्वर्ग में जमा होता है

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NewsNLive Desk: कार्तिक स्नान और पूजा की बड़ी महिमा है। बिहार और झारखंड में पूर्णिमा के अवसर पर लाखों लोगों ने गंगा में डुबकी लगाई। बक्सर से लेकर पटना, भागलपुर और झारखंड के साहिबगंज जिले में गंगा तट पर सुबह से स्नान करने वालों की भीड़ लगी रही। दूरदराज से लोग ट्रेनों और सड़क मार्ग के जरिए गंगा स्नान करने पहुंचे। काम करने के बाद लोगों ने भगवान विष्णु की पूजा अर्चना की और दान अर्पित किया।

वैदिक तंत्रगुरु आचार्य शैलेश तिवारी ने बताया कि कार्तिक स्नान और पूजा करने से सत्यभामा को श्रीकृष्ण की अर्द्धांगिनी बनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था। इस माह में दान का भी खास महत्व है। इस मौके पर आप जो दान करते हैं वह स्वर्ग में जमा हो जाता है। स्नान के बाद भगवान लक्ष्मीनारायण की पूजा से विशेष फल की प्राप्ति होती है।

अचार्य शैलेश तिवारी ने बताया कि गंगा स्नान सूर्योदय के पहले होना चाहिए। धार्मिक ग्रंथों में कहा गया है कि इस महीने शीतऋतु की शुरूआत होती है। इसलिए माना जाता है कि इस महीने का शारीरिक, मानसिक और धार्मिक रूप से बड़ा महत्व है। इस मौके पर पूजा दान और स्नान से पाप नष्ट हो जाते हैं। पुण्य की प्राप्ति होती है। स्वास्थ्य लाभ भी होता है।

वैज्ञानिक महत्व

विज्ञान के दृष्टिकोण से भी कार्तिक स्नान को स्वास्थ्यवर्धक बताया गया है। बारिश के दिनों में धरती पर असंख्य हानिकारक जीव पनप जाते हैं। कार्तिक मास में वर्षा समाप्त होने के बाद धरती पर सूर्य की तेज किरणें पहुंचती है, जिससे हानिकारक जीवाणुओं का नाश होता है। हवा प्रदूषण मुक्त होती है। इससे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।

कैसे करें स्नान

कार्तिक स्नान और व्रत का संकल्प लेने वाले श्रद्धालु को सूर्योदय से पूर्व पवित्र नदी, तालाब या कुंड के जल में प्रवेश करना चाहिए। शरीर का आधा हिस्सा जल में डूबा रहे इस तरह खड़े होकर स्नान करना चाहिए।

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