Oplus_131072
लखनऊ से भारत वार्ता विशेष प्रतिनिधि
उत्तर प्रदेश विधानसभा में भर्ती घोटाला सामने आया है। भर्ती प्रक्रिया को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट में दायर याचिका की सुनवाई के क्रम में कई बड़े पहलू सामने आया। भर्ती प्रक्रिया में जिस प्रकार का खेल किया गया, उसे देखकर हाई कोर्ट ने भी इसे घोटाला करार दिया है। भर्ती घोटाले की जांच सीबीआई से कराने की अनुशंसा की गई है। यूपी विधानसभा में हुए भर्ती के खेल का एक-एक पहलू सामने आया है। यह हैरान करने वाला है। दरअसल, यूपी विधानसभा में 186 पदों पर वैकेंसी निकाली गई थी। इसके लिए 2.5 लाख अभ्यर्थियों ने आवेदन किया था। विधानसभा में हुई नियुक्ति मामले में सामने आया है कि 38 पदों पर वीवीआईपी के रिश्तेदारों की भर्ती हुई। नियुक्ति प्रक्रिया के लिए जिस फर्म को हायर किया गया, वह दो कमरों में चलती पाई गई।। इस भर्ती प्रक्रिया में नौकरी पाने वाला हर पांचवां अभ्यर्थी वीवीआईपी का रिश्तेदार निकला है। प्रमुख सचिव, मुख्य सचिव से लेकर मंत्री तक के रिश्तेदारों को नौकरी दी गई। मंत्री महेंद्र सिंह के भतीजे को यूपी विधानसभा में नियुक्ति मिली। प्रमुख सचिव जय प्रकाश सिंह के बेटा और बेटी भी इसका लाभ पाने वालों में रहे हैं। वहीं, प्रमुख सचिव प्रदीप दुबे के भाई के दो बेटों, प्रमुख सचिव राजेश सिंह के बेटे, डिप्टी लोकायुक्त दिनेश सिंह के बेटे को भी जॉब मिली। यही नहीं, पूर्व सीएम अखिलेश यादव के करीबी नीटू यादव के भतीजे को भी नौकरी मिली है।
2020-2021 में आयोजित कम से कम दो दौर की परीक्षाओं के बाद यूपी विधानसभा और विधान परिषद में प्रशासनिक पदों को भरने के लिए भर्ती प्रक्रिया को पूरी कराई गई। इनमें से पांचवां हिस्सा उन उम्मीदवारों को मिला है जो अधिकारियों के रिश्तेदार हैं। इंडियन एक्सप्रेस की जांच से पता चला है कि इसमें वही अधिकारी शामिल हैं, जिनकी निगरानी में परीक्षा आयोजित की गई।
यूपी विधानसभा में नियुक्तियों के मामले में कई बड़े नाम शामिल हैं। तत्कालीन यूपी स्पीकर के पीआरओ और उनके भाई, एक मंत्री का भतीजा, विधान परिषद सचिवालय प्रभारी का बेटा, विधान सभा सचिवालय प्रभारी के चार रिश्तेदार, संसदीय कार्य विभाग प्रभारी के बेटे और बेटी, उप लोकायुक्त के बेटे, दो मुख्यमंत्रियों के पूर्व विशेष कार्य अधिकारी के बेटे भी इसमें शामिल हैं। इसके अलावा कम से कम पांच ऐसे भी हैं जो दो निजी फर्मों, टीएसआर डेटा प्रोसेसिंग और राभव के मालिकों के रिश्तेदार हैं। उन्होंने पहली कोविड लहर के दौरान यह परीक्षा आयोजित की थी।
इन सभी उम्मीदवारों को तीन साल पहले यूपी विधानमंडल को प्रशासित करने वाले दो सचिवालयों में नियुक्त किया गया था। 18 सितंबर 2023 को एक आदेश में तीन असफल उम्मीदवारों सुशील कुमार, अजय त्रिपाठी और अमरीश कुमार की ओर से याचिका दायर की गई। इस पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाई कोर्ट की दो जजों की पीठ ने सीबीआई जांच का आदेश दिया। इस प्रक्रिया को ‘चौंकाने वाला’ और ‘भर्ती घोटाले से कम नहीं’ कहा। वहां सैकड़ों भर्तियां अवैध और गैरकानूनी तरीके से हिली हुई विश्वसनीयता वाली बाहरी एजेंसी की ओर से की गईं।
यूपी विधानसभा में नौकरी के लिए परीक्षा के बाद पांचवी नियुक्ति वीवीआईपी रिश्तेदारों को मिली थी। इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के बाद यूपी विधान परिषद सुप्रीम कोर्ट चली गई। सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर सुनवाई करते हुए सीबीआई जांच पर रोक लगा दी है। इस मामले में अगली सुनवाई 6 जनवरी 2025 को होनी है।
Bharat varta Desk यूपी के डीजीपी प्रशांत कुमार आज रिटायर हो गए।1991 बैच के आईपीएस… Read More
Bharat varta Desk बिहार विधानसभा चुनाव के पहले नीतीश सरकार ने 34 IAS का तबादला… Read More
Bharat varta Desk बिहार में 43 आइएएस अफसरों का ट्रांसफर किया गया है. नीतीश सरकार… Read More
Bharat varta Desk बिहार सरकार ने पटना डीएम चंद्रशेखर सिंह समेत 14 आईएएस अधिकारियों को… Read More
Bharat varta Desk प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय बिहार दौरे पर हैं। सासाराम के विक्रम… Read More
Bharat varta Desk झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परिवार के साथ तीर्थ यात्रा पर केदारनाथ… Read More